न जाने आज कैसा दिन था कि आज उसे कोई सुखी लकड़ी या सुखा पेड़ मिल ही नहीं रहा था। वह थक हार कर एक जगह बैठ गया वह आज बेहद दुखी था कि आज उसे घर ले जाने के लिए अन्य पानी का प्रबंध नहीं हो सका। वह सोचते सोचते बेसुध हो गया और वहीं लेट गया।
पंचतंत्र की कहानी: एक और एक ग्यारह – ek aur ek gyarah
Yesterday my Trainer had supplied me a project to jot down the tales. I've accomplished it and my teacher praise me once more thanks
पंचतंत्र की कहानी: बंदर और लकड़ी का खूंटा – click here bandar aur lakdi ka khunta
अंत में सलीम हार मान गया और बकरी के बच्चे को वहीं छोड़कर। अब्दुल के अम्मी – अब्बू से अपने पैसे लेकर वापस लौट आया।
प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।
ना मेरी बच्ची तेरे इन आंसुओं का जिम्मेदार मैं हूँ।मुझे माफ कर दे!" पढ़ें
अब्दुल को दूर से देखकर झटपट दौड़ उसके पास पहुंच जाया करती थी।
पहचान – भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी
पंचतंत्र की कहानी: प्यासा कौवा
माँ को अपने बेटे, साहूकार को अपने देनदार और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे सुदर्शन
उन बालकों की नजर राजू के ऊपर गई , जिसके पास गेंद थी।
एक दिन शेरू को राहुल ने एक रोटी ला कर दिया।
सुन कारलोस, शक्तियां मिलने के बाद तुम तुम्हारे रास्ते हम हमारे!